बच्चे सोशल मीडिया और टैलेंट शो के जरिए लाखों में कमाई कर रहे हैं. अब सवाल उठता है कि उनकी कमाई पर वो खुद टैक्स भरेंगे या फिर उनके माता-पिता को टैक्स भरना होगा? यहां हम ऐसे ही कई सवालों का जवाब आपको बता रहे हैं.
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देश में बाल श्रम अपराध है, लेकिन अब बच्चों ने कमाई के ऐसे जरिए
तलाश लिए है जो अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं. आजकल बच्चे इंस्टाग्राम, यूट्यूब और टैलेंट शो के जरिए मोटी
कमाई कर रहे हैं. अब इस पर सवाल उठता है कि बच्चों की कमाई पर किसे टैक्स भरना
होता? बच्चे को या फिर उसके माता-पिता को.
यहां हम आपके इसी सवाल का जवाब लेकर आए
हैं, जिसमें बताएंगे कि बच्चों को कितनी
इनकम पर टैक्स में छूट मिलती है और उनकी कमाई पर किस तरीके से इनकम टैक्स लगाया
जाता है. जिसके बाद आप अपने बच्चे की कमाई पर टैक्स का कैलकुलेशन आसानी से कर
लेंगे.
नाबालिग की आय का मतलब क्या है
बालिग यानी 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को अपनी आमदनी
पर आयकर देना पड़ता है,
लेकिन नाबालिग के मामलों में नियम कुछ
अलग हैं।
नाबालिग बच्चों की दो तरीके की आय होती
है, जिसमें पहली अर्जित यानी खुद कमाई गई
आय और दूसरी अनर्जित यानी ऐसी आय जिसे बच्चे ने खुद कमाया न हो लेकिन उस पर बच्चे
का मालिकाना हक हो।
अगर बच्चा किसी प्रतियोगिता या रियलिटी
शो के जरिए,
सोशल मीडिया के जरिए, ऑनलाइन कंटेंट या किसी बिजनेस में
हिस्सेदारी करने या पार्ट टाइम जॉब अथवा किसी अन्य तरीके से कमाई करता है तो इसे
उसकी अर्जित की गई आय माना जाता है।
लेकिन अगर बच्चे को कोई संपत्ति, जमीन, जायदाद वगैरह किसी से गिफ्ट के तौर पर
मिलती है, तो इसे उसकी अनर्जित आय माना जाता है।
माता पिता अपने बच्चे के नाम से अगर कोई निवेश करते हैं और उस पर जो ब्याज मिलता
है, इसे भी बच्चे की अनर्जित आय ही माना
जाता है।
क्या है बच्चों के लिए कानून?
आयकर कानून की धारा 64 (1ए) में नाबालिग की आय से जुड़े नियमों को स्पष्ट किया गया है। नियम के अनुसार नाबालिग अगर कमाई करता है तो उसे टैक्स नहीं देना होता।
उसकी आय को उसके माता-पिता की आय में जोड़ दिया जाता है। फिर
माता-पिता को कुल आय पर निर्धारित कर स्लैब के हिसाब से आयकर देना होता है।
माता-पिता की आय में बच्चे की आमदनी जोड़ने का यह नियम गोद लिए गए बच्चों या
सौतेले बच्चों के मामले में भी लागू होता है।
इनकम टैक्स सेक्शन 10(32)
के मुताबिक नाबालिग बच्चों की 1500 सालाना की कमाई टैक्स के दायरे में
नहीं आती. यह छूट सिर्फ दो बच्चों के लिए ही लागू है। इसके ऊपर की कमाई को सेक्शन 64(1अ) के तहत उस इनकम को माता-पिता की
आमदनी में जोड़ कर इनकम टैक्स कैलकुलेट करके अपने आयकर स्लैब के हिसाब से कर
चुकाना पड़ता है।
अगर माता-पिता दोनों कमाते हैं तो अगर
माता और पिता दोनों कमाते हैं,
तो दोनों में से जिसकी आमदनी ज्यादा है, उसकी कुल आय में बच्चे की आय को जोड़कर
कर की गणना की जाती है।
अगर कोई नाबालिग लॉटरी में रकम जीतता
है तो इस पर सीधे 30
फीसदी टीडीएस काटा जाएगा। फिर इस
टीडीएस पर 10
फीसदी सरचार्ज लगाया जाएगा और चार
फीसदी सेस भी देना होगा।
तलाक की स्थिति में क्या होगा?
अगर नाबालिग बच्चे के माता-पिता का
तलाक हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसकी इनकम को उस पेरेंट की आय में जोड़ा जाएगा, जिसके पास बच्चे की कस्टडी है. अगर
बच्चा अनाथ है तो उसे अपना आईटीआर खुद भरना पड़ता है.
दिव्यांगता की स्थिति में क्या होगा?
अगर बच्चा दिव्यांग हो वहीं, अगर धारा 80यू में बताई गई किसी भी दिव्यांगता से
बच्चा ग्रसित है और यह 40
फीसदी से ज्यादा है, तो उसकी आय को माता-पिता की आय में
नहीं जोड़ा जाएगा।
आईटीआर भरना जरूरी
आयकर विभाग के अधिनियम में प्रावधान
किया गया है कि अब नाबालिग का आईटीआर भरना भी जरूरी होगा।
इसका मतलब है कि माता-पिता को अपना
रिटर्न दाखिल करते समय बच्चे की कमाई का ब्योरा भी देना होगा। अगर वो ऐसा नहीं
करते हैं तो कुछ समय के बाद आयकर विभाग नोटिस जारी कर सकता है।
बच्चे का रिटर्न कौन फाइल करेगा
आयकर रिटर्न भरने के लिए उम्र की कोई
सीमा नहीं है। लिहाजा,
जिन बच्चों की आय उनके अभिभावक की आय
में नहीं जुड़ती,
उनके रिटर्न खुद उनके नाम से ही दाखिल
किए जाएंगे। बच्चे के नाम से ये रिटर्न उनके माता-पिता भी दाखिल कर सकते हैं।
अगर रिटर्न अभिभावक या किसी ऐसे शख्स
द्वारा दाखिल किए जा रहे हैं,
जो बच्चे की आमदनी को प्रबंधित कर रहा
है, तो उसे आयकर विभाग की वेबसाइट पर अपने
सत्यापन से जुड़े दस्तावेज भी अपलोड करने होंगे।
इसके बाद वो शख्स प्रतिनिधि के तौर पर
नाबालिग का आयकर रिटर्न दाखिल कर पाएगा।
बच्चों के पैन कार्ड का नियम क्या है
नाबालिग बच्चे भी अपना पैन कार्ड रख
सकते हैं। उनका पैन कार्ड बनवाने के लिए माता-पिता या कानूनी संरक्षक आवेदन कर
सकते हैं।
दरअसल, अगर किसी नाबालिग का रिटर्न अलग से
दाखिल किया जाना है तो पैन कार्ड के साथ ही उसके बैंक खातों का ब्योरा, आय का विवरण, मोबाइल नंबर और ईमेल जैसी जानकारी की
जरूरत भी पड़ेगी।
तभी आयकर विभाग के पोर्टल पर उनका
लॉगिन और पासवर्ड बनाकर रिटर्न दाखिल किया जा सकेगा।
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